उसे ख़बरों और उसकी चीड़फाड़ का चस्का है! चस्का भी क्या नशा है! हालाँकि, नशा कहना मुनासिब नहीं, क्योंकि नशा तो बुराई स्वरूप है, जबकि चस्का में सकारात्मकता (Positivity) है. उसका नाम है अनोखे लाल उर्फ़ ‘नाना पाटेकर’. उम्र 43 साल. निवासी – रैगरपुरा, दिल्ली. शिक्षा – छठी पास, लेकिन सातवीं फेल नहीं, क्योंकि पढ़ाई छूट गयी. पेशा – पैतृक, चर्मकार. वो शानदार जूते बनाता है. जो किसके पैर की शान बनते हैं, ये उसे नहीं मालूम. इसके बारे में जानना तो चाहता है, लेकिन जान नहीं सकता. जूते बनाने के अलावा अनोखे लाल की ख़बरों में ऐसी दिलचस्पी है कि जिसे आप जुनूनी कह सकते हैं. रोज़ाना पाँच हिन्दी के अख़बारों को चाट जाना उसका शग़ल है. ख़बरों का वो ऐसा विश्लेषण करता है कि धुरन्धर सम्पादक भी उसके आगे पानी भरेंगे. यादाश्त भी ऐसी गज़ब की है कि बड़े-बड़े नेता, प्रवक्ता, अफ़सर और टीवी विशेषज्ञ भी उसके आगे पनाह माँगे. धाराप्रवाह बोलने का ऐसा अचूक कौशल कि ‘नाना पाटेकर’ भी उसके आगे सिर झुका लें. बोलने का अन्दाज़ भी ‘नाना पाटेकर’ से मिलता-जुलता है. वाणी में अद्भुत ओज है. इसीलिए सहकर्मी उसे प्यार और आदर से ‘नाना पाटेकर’ कहने लगे. किसी ने मुझे अनोखे लाल के बारे में बताया. तो मेरा कौतूहल बेक़ाबू हो गया. मैं चला गया, उससे मिलने. क्या मुलाक़ात थी वो! क़रीब पौन घंटा चली. इसमें से शिष्टाचारी परिचयबाज़ी के 4-5 मिनट को छोड़ दें तो बाक़ी 40 मिनट तक मैं आवाक् ही रहा. शायद, उस दौरान मेरी पलकें भी नहीं झपकीं. बातचीत में एक जगह अनोखे ने कहा, ‘देश ने मोदी को इसलिए तो प्रधानमंत्री बनाया नहीं था कि वो काँग्रेस का समूल नाश करने का वैसा ही संकल्प पूरा करने लगें, जैसे विश्वामित्र ने पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन करने की ठानी थी. मोदी को देश ने ‘अच्छे दिन’ लाने के लिए वोट दिया था. लेकिन सरकार बनाने के बाद वो सोनिया गाँधी को इटली या जेल भेजने के अभियान में जुट गये.’ मैंने कहा, ‘भाई अनोखे, ऐसा क्या कर दिया मोदी जी ने?’ कहने लगा, ‘आप तो पत्रकार हैं. आपको क्या लगता है कि इटलियन नाविकों की रिहाई के लिए वहाँ की सरकार भी सीबीआई की तरह तोता बन जाएगी! वो सबूत देने लगेगी कि आगस्टा हेलिकॉप्टर सौदे में सोनिया गाँधी ने दलाली ख़ायी थी!’ मैंने कहा, ‘आपको क्या समझ में आ रहा है?’ अनोखे बोला, ‘मोदी जी का तो वही हाल है कि चले थे हरि भजन को ओटन लगे कपास!’ मैंने विषयान्तर किया. पूछा, ‘आपने मोदी को वोट दिया था क्या?’ अनोखे लाल ने कहा, ‘बिल्कुल दिया था. कमल का बटन दबाया था. उदित राज को जिताया था. लेकिन सरकार बनते ही मोदी जी ज़ुमलेबाज़ी में जुट गये. तब लगा, गड़बड़ हो गया. इसीलिए दिल्ली में झाड़ू को वोट दिया.’ मैंने पूछा, ‘परिवार में कौन-कौन है?’ बोला, ‘विधवा माँ, पत्नी और दो-बेटे. बड़ा वाला दसवीं में है और छोटा वाला सातवीं में. अब तो दोनों मुझसे ज़्यादा पढ़ लिये. सरकारी स्कूल में पढ़ाता हूँ. वहाँ कुछ होता नहीं. इसलिए नीता मैडम के पास दोनों ट्यूशन भी पढ़ने जाते हैं. मैडम कोई फ़ीस नहीं लेतीं. मुफ़्त पढ़ाती हैं. कभी दो घंटा. कभी उससे भी ज़्यादा. मैडम की कृपा से दोनों पढ़ने में बहुत अच्छे हैं. मेरी अँग्रेज़ी सफ़ाचट है. लेकिन बेटों की शानदार है. नसीब ने साथ दिया तो बेटे बड़े आदमी बन जाएँगे!’ अभी अनोखे रुका नहीं. आगे बोला, ‘पत्नी गृहिणी है. सास-बहू, घर में रहती हैं. पत्नी ख़ाली वक़्त में साड़ी में फ़ॉल लगा लेती है. लेकिन उनका असली काम है, घर चलाना! इससे फ़ुर्सत हो तभी अतिरिक्त आमदनी की गुंज़ाइश है. वर्ना ख़बरदार, जो पैसे की पीछे भागने की कोशिश की. मैं 12 घंटे काम करता हूँ. इतना कमा लेता हूँ कि गृहस्थी ठीक से चल सके. झुग्गी बस्ती में डेढ़ कमरे का घर है. सभी ज़रूरी चीज़ें हैं. टीवी है. गैस है. फ्रिज़ है. मुझे कोई व्यसन नहीं. बीड़ी-सिगरेट, शराब, कुछ भी नहीं. कोई नशा नहीं. लेकिन हाँ, ये अख़बार चाटना भी किसी नशे से कम नहीं. पाँच अख़बार ख़रीदता हूँ. उन्हें पढ़ता हूँ. जमकर काम करता हूँ. ख़ुश रहता हूँ. यही शौक़ है, यही लत और यही आदत भी!’ वाणी की ऐसी सरलता. बिना पूछे ही सब कुछ कह देने की समझ और धाराप्रवाह बातचीत में भी सटीक शब्दों का चयन. अब तक मैं सम्मोहित हो चुका था. थोड़ा निरुत्तर भी. बतौर पेशेवर पत्रकार तमाम नामचीन हस्तियों से मिलने का सौभाग्य मिलता रहा. किससे-किससे, कब-कब और कैसे-कैसे सवाल पूछे? इसका संस्मरण लिखूँ तो शायद ‘बेस्ट सेलर’ बन जाए. लेकिन अनोखे के साथ बतियाने का अनुभव अनोखा था. अद्भुत, अविस्मरणीय और अलौकिक भी! मैंने फिर विषयान्तर करके पिछली बात का रुख़ किया. पूछा, ‘क्या आपको नहीं लगता कि सोनिया गाँधी का ‘हिसाब’ करने की मंशा का जो आरोप नरेन्द्र मोदी पर मढ़ा गया है, उसमें शरारत है?’ अब तो अनोखे का रंग और तेवर ही बदल गया! कहने लगा, ‘देखिए सर, मुझे न सोनिया की बदौलत रोटी मिलती है और न नरेन्द्र मोदी मेरे घर राशन भिजवाते हैं! दिन भर मेहनत करता हूँ तो शाम को रोटी मिलती है. लेकिन इतना तो दावे के साथ कह सकता हूँ कि इटली से सोनिया के ख़िलाफ़ सबूत माँगने की ख़बर झूठी नहीं हो सकती!’ मैंने पूछा, ‘वो कैसे?’ जवाब में अनोखे लाल ने ख़ुद ही प्रश्नोत्तर शैली को अपना लिया. बोला, ‘आरोप लगाने वाला कौन है? 54 वर्षीय ब्रिटिश आर्म्स एजेंट क्रिश्चियन मिशेल. आरोप कहाँ और कैसे लगाया? ‘इंटरनैशनल ट्रिब्यूनल ऑफ द लॉ ऑफ द सीज’ और ‘परमानेंट कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन’ को पत्र लिखकर. पत्र क्यों लिखा? क्योंकि उसकी इटालियन कम्पनी फिनमेक्कानिका की ब्रिटेन स्थित सहायक फ़र्म को 2010 में 3,727 करोड़ रुपये में 12 आगस्टा वेस्टलैंड हेलिकॉप्टरों की सप्लाई का सौदा मिला था. इसका इस्तेमाल वीवीआईपी के लिए होना था.’ अनोखे ने आगे कहा, ‘हेलिकॉप्टर सौदे में 375 करोड़ रुपये की दलाली के आरोप लगे तो मनमोहन सरकार के रक्षा मंत्री ए के एंटोनी ने सौदा रद्द कर दिया. इस सौदे में सप्लाई हुए तीन हेलिकॉप्टर भी भारत ने ज़ब्त कर लिये. क़ानूनी कार्रवाई आगे बढ़ी. इसमें ब्रिटिश एजेंट क्रिश्चियन मिशेल की भारतीय जाँच एजेंसियों को तलाश है. मामला अभी आर्बिट्रेशन में है. मोदी को लगता है कि ये दलाली सोनिया गाँधी ने खायी है. लेकिन उन्हें सबूत मिले. क्रिश्चियन मिशेल का आरोप है कि सितम्बर 2015 में न्यूयॉर्क में हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान नरेन्द्र मोदी और इटली के प्रधानमंत्री मैटेयो रेंजी के बीच हुई मुलाकात में इटालियन नाविकों की रिहाई के बदले गाँधी परिवार के ख़िलाफ़ दलाली के सबूत के नाम पर सौदेबाज़ी हुई.’ अनोखे की बात अब भी अधूरी थी. उसने आगे कहा, ‘अब ये भी बताऊँ कि ये इटालियन नाविक वाला मामला क्या है?’ मैंने कहा, ‘जी, बताइए.’ अनोखे ने कहा, ‘15 फरवरी 2012 को अरब सागर में केरल के तट पर दो भारतीय मछुआरों की इटली के दो नाविकों – मैसिमिलियानो लाटोरे और सल्वातोरे गिरोने ने इसलिए गोली मारकर हत्या कर दी क्योंकि उन्हें लगा कि वो समुद्री लुटेरे हैं. उनकी दलील है कि गोली आत्मरक्षा में चलायी गयी और उस वक़्त उनका जहाज़ अन्तर्राष्ट्रीय जल-सीमा में था. लिहाज़ा, उन पर भारतीय क़ानून के तहत मुक़दमा नहीं चल सकता. मामला अभी ‘इंटरनैशनल ट्रिब्यूनल ऑफ द लॉ ऑफ द सीज’ के विचाराधीन है. हमारा सुप्रीम कोर्ट भी अभी तक क्षेत्राधिकार तय नहीं कर पाया है. एक नाविक इलाज़ करवाने के लिए इटली में है. दूसरा दिल्ली स्थित अपने दूतावास में. क्रिश्चियन मिशेल के आरोप पर इटली की सरकार ख़ामोश है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसे ‘बकवास’ बताया है.’ मैंने कहा, ‘वाह भाई, अनोखे लाल! आप वाकई अनोखे हैं. एक साँस में सारी कहानी सुना दी. लेकिन ये तय कैसे हुआ कि क्रिश्चियन मिशेल ने मोदी जी की पोल खोल दी कि वो गाँधी परिवार की तबाही देखना चाहते हैं?’ अनोखे बोला, ‘अभी नैशनल हेराल्ड का मामला देखा था न आपने! संसद में कितना हंगामा हुआ. अब मिशेल के आरोप को लेकर कोहराम होगा. मुझे एक बात बताइए, बोफोर्स से किसे क्या मिला? आगस्टा भी क्या वही नहीं है? सोनिया गाँधी की नाक के नीचे ही हेलिकॉप्टर सौदा हुआ. उनकी सरकार ने ही उसे रद्द किया. अब मोदी सरकार पूरी ताक़त से उनके ख़िलाफ़ सबूत ढूँढ़ रही है. सबूत मिल गये तो ठीक, वर्ना गढ़े जाएँगे. ताकि दशकों तक मुद्दा गरमाया रहे. काँग्रेस बचाव में लगी रहे. ये उसे चोर-चोर कहते रहें. और, देश से कहें कि हमें ही ढोते रहो. यही राजनीति है.’ मैंने कहा, ‘बेशक, यही राजनीति है. लेकिन इसमें हर्ज़ क्या है? सभी यही करते हैं.’ अनोखे बोला, ‘नहीं साहब, ये राजनीति ज़्यादा दिन तक नहीं चलती. राजनीति में विरोधी कमज़ोर हो, तो चलेगा. लेकिन उसे मटियामेट करने से फ़ायदा नहीं होता. क्योंकि एक मटियामेट होगा तो कोई दूसरा उसकी जगह ले लेगा. राजनीति में सत्ता पक्ष को जनता की ज़िन्दगी आसान करने पर ध्यान देना चाहिए. विपक्ष का काम है खिंचाई करना. आप उसकी खिंचाइयों से बचने की कोशिश कीजिए. यही लोक-लाज़ है. इसकी परवाह कीजिए. लेकिन मोदी जी का स्वभाव है वो विरोधी को पछाड़ने में नहीं, मिटाने में फ़ायदा देखते हैं! काँग्रेस को मिटा देना चाहते हैं. ग़लत दिशा में जा रहे हैं. पछताएँगे.’ मैंने बातचीत को यही विराम दिया. अनोखे लाल का शुक्रिया अदा किया. फिर मिलेंगे, कहकर उनसे विदा ली. रास्ते भर सोचना रहा, राजनीति के बारे में कितनी गहरी समझ है इस देश के आम आदमी की! कभी इसी तबक़े ने काँग्रेस को ज़मींदोज़ किया था. आज यही मोदी में ख़ोट देख रहा है
Source:Agency –